🛕 बीजामंडल (विजया मंदिर), मध्य प्रदेश — पूरा परिचय
स्थान: खजुराहो के दक्षिणी मंदिर समूह के पास, जटकरी गाँव, ज़िला छतरपुर, मध्य प्रदेश।
अन्य नाम: इसे विजया मंदिर या बीजामंडल मंदिर भी कहा जाता है।
🌿 इतिहास और महत्व
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बीजामंडल मंदिर का निर्माण लगभग 8वीं सदी में शुरू हुआ था, और बाद में परमारा राजवंश (लगभग 11वीं सदी) के राजा नरवर्मन ने इसका पुनर्निर्माण कराया।
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यह मंदिर भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित माना जाता है।
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“विजया” नाम देवी का रूप माना जाता है, इसी वजह से इसे विजया मंदिर भी कहा जाता है।
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इस मंदिर में कभी अत्यंत सुंदर मूर्तियाँ, नक्काशियाँ और पत्थर की कलाकृतियाँ थीं — जैसे अप्सराएँ, हाथी, घोड़े और देवी-देवताओं की मूर्तियाँ।
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मुगल काल में, औरंगज़ेब के शासन के दौरान, इस मंदिर को तोड़ा गया और उसी स्थान पर एक मस्जिद (आलमगीर मस्जिद) बनाई गई।
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वर्ष 1991 में भारी वर्षा के बाद जब मस्जिद की दीवार का एक हिस्सा गिरा, तो नीचे से प्राचीन मूर्तियाँ और नक्काशीदार पत्थर बाहर आए — जिससे मंदिर का असली स्वरूप फिर से उजागर हुआ।
🏛️ वास्तुकला और वर्तमान स्थिति
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मंदिर का निर्माण ऊँचे चबूतरे (प्लिंथ) पर हुआ था, जहाँ अभी भी अद्भुत नक्काशी देखने को मिलती है —
जैसे हाथी, घोड़े, नर्तक, अप्सराएँ और ज्यामितीय आकृतियाँ। -
इसकी कुल लंबाई लगभग 34.6 मीटर है — जो खजुराहो के प्रसिद्ध कंदारिया महादेव मंदिर से भी बड़ी है।
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परंतु निर्माण अधूरा रह गया था, इसलिए कई हिस्से अधूरे या खंडहर रूप में हैं।
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आज यहाँ केवल मंदिर का आधार और कुछ दीवारें शेष हैं, पर फिर भी इन खंडहरों में छिपी कला अद्भुत है।
📍 स्थान और पहुँचने का मार्ग
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पता: सेवाग्राम, खजुराहो, मध्य प्रदेश 471606 (जटकरी गाँव के पास)
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दूरी: खजुराहो बस स्टैंड से लगभग 2–3 किलोमीटर दूर।
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कैसे पहुँचे:
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टैक्सी या ऑटो से आसानी से जाया जा सकता है।
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चतुरभुज मंदिर देखने के बाद यहाँ पहुँचना सबसे सुविधाजनक रहता है क्योंकि यह पास ही स्थित है।
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रास्ता थोड़ा संकरा है, इसलिए पैदल चलने के लिए तैयार रहें।
🕐 समय और प्रवेश शुल्क
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खुलने का समय: सुबह 8:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक
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प्रवेश शुल्क: सामान्यतः निःशुल्क (फ्री)
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यहाँ कोई टिकट काउंटर या गेट शुल्क नहीं है, क्योंकि यह पुरातात्त्विक खंडहर क्षेत्र है।
🌤️ घूमने का सबसे अच्छा समय
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सुबह या शाम का समय सबसे उपयुक्त है — जब रोशनी मध्यम होती है और मूर्तियों की बारीक नक्काशी स्पष्ट दिखती है।
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अक्टूबर से फरवरी के बीच का मौसम सबसे अच्छा माना जाता है।
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मानसून के बाद आस-पास की हरियाली से यह स्थल और सुंदर हो जाता है।
💡 यात्रा सुझाव (Visitor Tips)
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👟 आरामदायक जूते पहनें — रास्ता ऊबड़-खाबड़ और असमान हो सकता है।
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💧 पानी और हल्के नाश्ते साथ रखें — यहाँ खाने-पीने की दुकानें बहुत कम हैं।
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🧭 स्थानीय गाइड या गाँव के बुजुर्गों से बातचीत करें — वे इस स्थान के रोचक इतिहास के बारे में बता सकते हैं।
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📸 फोटोग्राफी अनुमति है — खंडहरों और नक्काशी की फोटोज़ बेहद सुंदर आती हैं।
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🙏 सम्मानजनक व्यवहार रखें — क्योंकि यह स्थल धार्मिक और ऐतिहासिक दोनों दृष्टि से संवेदनशील है।
🗺️ मानचित्र-गाइड व मार्गदर्शन
1. प्रमुख स्थान और मार्ग
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खजुराहो शहर (राजनगर क्षेत्र) केंद्र बिंदु रखें।
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बीजामंडल मंदिर, जो जटकरी गाँव (Jatkara / Jatkari) के पास स्थित है, शहर से लगभग 2 किमी की दूरी पर है।
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मंदिर तक पहुँचने के लिए मुख्य सड़कें:
• Vidisha-Ashoknagar Road मार्ग के पास मंदिर स्थित है। Wikipedia
• State Highway 5 (MP SH 5) खजुराहो को अन्य स्थानों से जोड़ती है। Wikipedia
2. आसपास के मंदिर और स्थलीय समूह
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खजुराहो के प्रसिद्ध मंदिर समूह (Eastern, Western, Southern Groups) मानचित्र पर दिखेंगे — आप पहले वहाँ जा सकते हैं, फिर बीजामंडल की ओर बढ़ सकते हैं (बेहद समीप)।
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UNESCO की साइट प्लान पर खजुराहो मंदिरों की स्थिति दी गई है, जिससे आप अपनी यात्रा को सुचारू रूप से व्यवस्थित कर सकते हैं।
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मानचित्रों में चतुरभुज मंदिर, दूलादेо मंदिर आदि दिखेंगे — ये अन्य दर्शनीय स्थान हैं जिन्हें आप यात्रा में जोड़ सकते हैं।
3. होटल और रहने की सुविधाएँ (नज़दीकी विकल्प)
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खजुराहो में कई होटल हैं जहाँ आप निवास कर सकते हैं: The Lalit Temple View, Ramada by Wyndham Khajuraho, Radisson Hotel Khajuraho, Hotel Isabel Palace आदि।
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Sevagram और राजनगर क्षेत्र में भी कुछ होमस्टे एवं छोटे होटल विकल्प हैं।
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खजुराहो रेलवे स्टेशन के निकट भी होटल विकल्प उपलब्ध हैं।
🧭 यात्रा सुझाव — मानचित्र के अनुसार
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शहर में ठहराव: खजुराहो में रहें ताकि सभी मंदिर और बीजामंडल आसान पहुँच में हों।
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रूट प्लान:
- पहले खजुराहो मंदिरों का दौरा करें (Western / Southern / Eastern groups)
- फिर बीजामंडल मंदिर की ओर जाएँ — क्योंकि वह कम दूर है और अंतिम पड़ाव हो सकता है। -
यातायात साधन: टैक्सी, ऑटो या निजी वाहन लेकर चलें — सड़कें अच्छी हो सकती हैं, लेकिन गाँव की हिस्सों में रास्ते संकरे हो सकते हैं।
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समय देना: मंदिरों के बीच चलने-फिरने और स्थान बदलने में समय लग सकता है — इसलिए पर्याप्त समय रखें।
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मानचित्र साथ रखें: यह मानचित्र-गाइड और स्थानीय दिशानिर्देश (होटल/प्रदर्शनी केंद्रों से) आपके काम आएँगे।
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